उत्तराखंड

ग्रामोत्थन परियोजना द्वारा जिले के हर ब्लॉक के संकुल स्तरीय सहकरिताओं में “आधुनिक तकनीकी द्वारा चारा उत्पादन” पर दिया गया विशेष प्रशिक्षण

रिपोर्ट – अनिल सैनी।

मंगलौर। रिप परियोजना द्वारा जिले में विभिन्न प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं जिसमें आधुनिक तकनीकी द्वारा चारा उत्पादन प्रशिक्षण से गांव में जुड़े सभी लोगों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है नारसन ब्लॉक के लिब्बरहेड़ी गांव में रविदास मंदिर केंद्र पर “आधुनिक तकनीकी द्वारा चारा उत्पादन” पर प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम में नारसन ब्लॉक के सहायक विस्तार अधिकारी, कृषि एवं पशुपालन, ललित कुमार ने पशुपालक महिला किसानों को प्रशिक्षण प्रदान किया। प्रशिक्षण के दौरान चारा उत्पादन की प्रक्रिया, इसकी आवश्यकता, और फसल चयन के विभिन्न पहलुओं पर गहन चर्चा की गई।

किसानों को चारा उत्पादन के लिए उपयोग की जाने वाली प्रमुख फसलें, जैसे नेपियर घास, मक्का, जौ, ज्वार, बाजरा, और बरसीम, के बारे में जानकारी दी गई। भूमि की तैयारी, बीज चयन, बुआई, सिंचाई, और फसल कटाई के साथ-साथ चारा तैयार करने के लिए खाद और उर्वरक का उचित उपयोग कैसे किया जाए, यह बताया गया। प्रशिक्षकों ने भूमि की उपजाऊता बढ़ाने के लिए उचित जुताई और फसल के रोगों और कीटों से बचाव के उपायों पर भी प्रकाश डाला। साइलेज उत्पादन की विधि भी विस्तार से समझाई गई, जिसमें उपयुक्त फसलों का चयन, सही समय पर कटाई, फसल सुखाने, और साइलेज बनाने की प्रक्रिया शामिल थी। इसमें फसल को छोटे टुकड़ों में काटकर हवा को रोकने के लिए इसे दबाया जाता है, फिर उचित भंडारण और सीलिंग की प्रक्रिया अपनाई जाती है ताकि साइलेज लंबे समय तक सुरक्षित रहे। इस प्रशिक्षण का मुख्य उद्देश्य किसानों को चारा उत्पादन की उन्नत तकनीकों और साइलेज निर्माण से अवगत कराना था, ताकि वे पशुपालन में सुधार कर सकें और उच्च गुणवत्ता वाला चारा कम लागत में उपलब्ध करा सकें। इससे किसानों की उत्पादकता और आर्थिक स्थिति में सुधार होगा। दूसरे दिन 24 पशुपालक प्रगतिशील किसानों ने इस प्रशिक्षण में भाग लिया और बेहतर चारा उत्पादन की तकनीकों को सीखा, जिससे पशुओं के लिए पोषण समृद्ध चारा तैयार किया जा सके। रिप परियोजना के जिला परियोजना प्रबंधक संजय सक्सेना ने बताया कि इस प्रशिक्षण से गांव देहात के किसानों के साथ साथ गांव के दुग्ध उत्पादक को भी इस प्रशिक्षण से लाभ होगा ।

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