रिपोर्ट – अनिल सैनी।
खानपुर। जिला परियोजना प्रबंधक संजय सक्सेना (ग्रामोत्थान परियोजना) के निर्देशानुसार “गोर्वधनपुर CLF” में पशुपालक महिला किसानों के लिए दो दिवसीय चारा उत्पादन एवं साइलेज मेकिंग पर आधुनिक तकनीक आधारित प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस प्रशिक्षण का उद्देश्य किसानों को चारा उत्पादन की नवीनतम तकनीकों से परिचित कराना था, ताकि वे अपने पशुओं के लिए पौष्टिक और उच्च गुणवत्ता वाला चारा उत्पादन कर सकें।
प्रशिक्षण के पहले दिन, 07 अक्टूबर 2024, को कुलदीप सिंह (सहायक विस्तार – कृषि एवं पशुपालन) ने मुख्य प्रशिक्षक के रूप में प्रशिक्षण प्रदान किया। साथ ही, CLF की अध्यक्षा भी इस कार्यक्रम में उपस्थित थीं। कुल 23 प्रगतिशील पशुपालक किसानों ने इस प्रशिक्षण में सक्रिय भागीदारी की।
प्रशिक्षण के प्रमुख बिंदु रहे है –
1. चारा उत्पादन का महत्व और उद्देश्य: चारा उत्पादन पशुपालकों के लिए एक आवश्यक कृषि गतिविधि है। इसमें पशुओं के लिए पौष्टिक हरा चारा उगाने की प्रक्रिया को विस्तार से समझाया गया।
2. प्रमुख चारा उत्पादन फसलें: नेपियर घास, मक्का, ज्वार, बाजरा, जौ, और बरसीम जैसी प्रमुख फसलों पर चर्चा की गई।
3. चारा उत्पादन की नई पद्धतियां: भूमि की तैयारी, बीज चयन, बुआई, सिंचाई, निराई, और खाद-उर्वरक के उचित उपयोग की जानकारी दी गई।
4. प्रमुख चारा उत्पादन फसलों के प्रकार: हरा चारा दो प्रकार का होता है – बेफलीदार और फलीदार। इसमें नेपियर हाथी घास और गिनी घास जैसी किस्मों पर विस्तार से चर्चा की गई।
5. CSA आधारित चारा उत्पादन: जलवायु परिवर्तन के अनुकूल कृषि तकनीकों को अपनाने पर जोर दिया गया, ताकि चारा उत्पादन को टिकाऊ और अधिक लाभकारी बनाया जा सके।
6. चारा उत्पादन की समस्याएँ: मौसम की अनिश्चितता, मिट्टी की गुणवत्ता, पानी की कमी, कीट और रोग, बीज की कमी, और जलवायु परिवर्तन जैसी चुनौतियों पर चर्चा की गई।
7. रीप परियोजना का सहयोग: संकुल स्तरीय फेडरेशन की मांग के अनुसार, रीप परियोजना के अंतर्गत चारा बीज उपलब्ध कराया जाता है, जिसमें परियोजना का 80% सहयोग और लाभार्थी का 20% योगदान रहता है।
8. हरे चारे का रखरखाव: हरे चारे को सुखाना, पैकिंग, कुलिंग, फ्रीजिंग, साइलेज बनाना, और नमी नियंत्रण के माध्यम से चारे को लंबे समय तक सुरक्षित रखने के तरीकों पर चर्चा की गई।
वहीं जिला परियोजना प्रबंधक संजय सक्सेना ने बताया कि ग्रामीण उधम वेग वृद्धि परियोजना / ग्रामोत्थान योजना के अंतर्गत जिलेभर में अनेक योजनाएं चलाई जा रही है जिसके फलस्वरूप लोगो को फायदा भी मिल रहा है यह प्रशिक्षण कार्यक्रम “ग्रामोत्थान योजना” के अंतर्गत पशुपालक किसानों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने और पशुधन उत्पादन में वृद्धि करने हेतु एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा।
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