उत्तराखंड

विरासत महोत्सव में हरिद्वार के हस्तशिल्प को मिली नई पहचान

रिपोर्ट – अनिल सैनी।

देहरादून। मुख्य विकास अधिकारी हरिद्वार के मार्गदर्शन में, देहरादून में आयोजित प्रतिष्ठित विरासत महोत्सव मेले में हरिद्वार जिले का एक विशेष स्टॉल स्थापित किया गया है। इस स्टॉल में टेराकोटा, पॉटरी, और विभिन्न प्रकार के कैंडल निर्माताओं द्वारा बनाए गए उत्पादों का प्रदर्शन किया गया है। इसका उद्देश्य हरिद्वार जनपद के ग्रामीण क्षेत्रों के हस्तशिल्प और उत्पादों को व्यापक बाजार में पहचान दिलाना और उनके व्यापार को सशक्त बनाना है।

इस आयोजन में जिला परियोजना प्रबंधक (ग्रामोत्थान परियोजना) और सहायक परियोजना निदेशक (राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन) ने नियमित रूप से स्टॉल का दौरा किया। दोनों अधिकारियों ने उत्पादों की गुणवत्ता और ग्राहकों की संतुष्टि को प्राथमिकता देते हुए आवश्यक दिशा-निर्देश दिए, जिससे उत्पादों की प्रतिस्पर्धात्मकता और आकर्षण में बढ़ोतरी हो सके। स्टॉल पर रखे गए उत्पादों की गुणवत्ता में सुधार हेतु भी सुझाव दिए गए, जिससे ग्राहकों को बेहतर उत्पाद अनुभव मिल सके और कारीगरों को अपने कौशल में निखार का अवसर प्राप्त हो।

अब तक स्टॉल पर 1000 से अधिक लोगों ने दौरा किया है और उत्पादों की गुणवत्ता और डिज़ाइन के लिए अपने बहुमूल्य सुझाव दिए हैं। स्टॉल के माध्यम से कुल 72 उत्पादों की बिक्री में ₹24,865.00 की राशि अर्जित की गई है, जो कारीगरों की मेहनत और उनकी कला की सराहना को दर्शाता है।

विरासत महोत्सव में टेराकोटा और कैंडल निर्माण जैसे उत्पादों की ब्रांडिंग और बिक्री को और बढ़ावा देने के लिए मुख्य विकास अधिकारी महोदया के निर्देशन में अनेक महत्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं। इस पहल से स्थानीय कारीगरों को उनके उत्पादों के लिए एक बड़े बाजार से जोड़ने का अवसर मिला है, जिससे उनकी कला को प्रोत्साहन और मान्यता मिल रही है। इसके साथ ही, यह प्रयास ग्रामीण आजीविका को सुदृढ़ बनाने और हरिद्वार के ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के नए अवसर पैदा करने की दिशा में एक सकारात्मक कदम साबित हो रहा है।

यह पहल न केवल कारीगरों को अपनी कला के माध्यम से आत्मनिर्भर बनने का अवसर प्रदान करती है, बल्कि उनके आर्थिक विकास को भी प्रोत्साहित करती है। ग्रामीण क्षेत्र के उत्पादों की इस तरह की ब्रांडिंग से स्थानीय स्तर पर रोजगार सृजन और आर्थिक प्रगति को भी बल मिलता है।

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