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ग्रामोत्थान परियोजना के तहत चारा उत्पादन और साइलेज मेकिंग पर दो दिवसीय प्रशिक्षण संपन्न*

हरिद्वार।

ग्रामोत्थान परियोजना “रीप” के अंतर्गत *श्रद्धा, सपना, मंगलमय और विराट* सीएलएफ के महिला पशुपालक किसानों के लिए चारा उत्पादन और साइलेज मेकिंग पर दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। यह प्रशिक्षण श्री संजय सक्सेना, जिला परियोजना प्रबंधक (ग्रामोत्थान परियोजना) के निर्देशन में आयोजित किया गया।

प्रशिक्षण का उद्देश्य:-

 

इस कार्यक्रम का उद्देश्य पशुपालक किसानों को चारा उत्पादन की नवीनतम तकनीकों से अवगत कराना और साइलेज (संचित चारा) बनाने की आधुनिक विधियों को सिखाना था, ताकि वे अपने पशुओं को पौष्टिक और गुणवत्तापूर्ण आहार प्रदान कर सकें।

 

प्रमुख बिंदु:-

 

दो दिवसीय प्रशिक्षण को अनुज कुमार, कुलदीप सिंह , ललित कुमार (सहायक विस्तार अधिकारी – कृषि एवं पशुपालन) ने मुख्य प्रशिक्षक के रूप में अलग अलग विकासखंड में प्रशिक्षण प्रदान किया। सत्र में कुल 100 से अधिक प्रगतिशील महिला पशुपालकों ने भाग लिया। प्रशिक्षण के दौरान निम्नलिखित बिंदुओं पर चर्चा की गई:

 

1. साइलेज उत्पादन क्या है?

 

साइलेज एक संरक्षित चारा है, जिसे हरा चारा लंबे समय तक पौष्टिक बनाए रखने के लिए एक विशेष तकनीक से तैयार किया जाता है।

 

 

 

2. साइलेज की आवश्यकता और लाभ:

 

चारे की कमी को दूर करना।

 

पशुओं को पौष्टिक आहार उपलब्ध कराना।

 

खराब मौसम में उपयोगी।

 

बीमारियों से बचाव और पशुओं की उत्पादकता में वृद्धि।

 

 

 

3. साइलेज बनाने के लिए उपयुक्त चारे की फसलें:

 

हरा चारा, अनाज चारा, दलहन चारा, गन्ना चारा, ओट्स आदि।

 

 

 

4. साइलेज तैयार करने की प्रक्रिया:

 

सही समय पर चारे की कटाई।

 

चारे का भंडारण।

 

साइलेज बैग का उपयोग।

 

 

 

 

व्यावहारिक प्रदर्शन:-

 

प्रशिक्षण के अंत में, महिला किसानों को साइलेज बैग का उपयोग करके चारा संरक्षित करने की प्रक्रिया का व्यावहारिक प्रदर्शन दिया गया।

 

प्रशिक्षण का प्रभाव:-

 

यह प्रशिक्षण कार्यक्रम पशुपालकों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने और उनके पशुधन उत्पादन में वृद्धि के लिए महत्वपूर्ण साबित होगा। इससे महिला किसानों को आत्मनिर्भर बनने में मदद मिलेगी।

anilkumar

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