रिपोर्ट – अनिल सैनी।
हरिद्वार। मुख्य विकास अधिकारी आकांशा कोण्डे की अध्यक्षता में वेस्ट फ्लावर मैनेजमेंट से संबंधित एक महत्वपूर्ण प्रस्तुतीकरण ऑरल एसेंस प्राइवेट लिमिटेड द्वारा प्रस्तुत किया गया। यह कार्यक्रम ग्रामोत्थान परियोजना के जिला परियोजना प्रबंधक (डीपीएम) की उपस्थिति में हुआ। कर्नाटक से आई ऑरल एसेंस प्राइवेट लिमिटेड की तकनीकी टीम ने वेस्ट फ्लावर से उत्पाद बनाने की तकनीकों और संभावनाओं पर चर्चा की। इस प्रस्तुतीकरण का मुख्य उद्देश्य फूलों के कचरे को उपयोगी उत्पादों में बदलने की प्रक्रिया को समझना और इसे जिले में लागू करने की संभावनाओं का मूल्यांकन करना था।
वेस्ट फ्लावर से उत्पाद बनाने की तकनीक:-
प्रस्तुतीकरण के दौरान ऑरल एसेंस प्राइवेट लिमिटेड की तकनीकी टीम ने बताया कि आधुनिक तकनीकों का उपयोग करके एक समय में फूलों से चार प्रकार के उत्पाद तैयार किए जा सकते हैं। इन उत्पादों में अगरबत्ती, जैविक खाद, सुगंधित तेल और प्राकृतिक रंग शामिल हैं। टीम ने इस प्रक्रिया के विभिन्न चरणों, उपकरणों और तकनीकी पहलुओं पर विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने यह भी बताया कि इस प्रक्रिया में फूलों के कचरे का अधिकतम उपयोग किया जा सकता है, जिससे पर्यावरणीय स्थिरता और आर्थिक लाभ प्राप्त किए जा सकते हैं।
वेस्ट फ्लावर से अन्य उत्पाद बनाने की संभावनाएँ:-
चर्चा के दौरान ऑरल एसेंस प्राइवेट लिमिटेड की टीम ने वेस्ट फ्लावर से बनने वाले अन्य उत्पादों की संभावनाओं पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि इस कचरे का उपयोग हर्बल उत्पाद, स्किनकेयर प्रोडक्ट्स और घरेलू उपयोग की वस्तुओं जैसे अन्य रचनात्मक उत्पादों के निर्माण में किया जा सकता है। टीम ने समझाया कि फूलों का उपयोग केवल धार्मिक और सामाजिक कार्यों तक सीमित नहीं है, बल्कि उनकी उपयोगिता को नए आयाम दिए जा सकते हैं।
फूल संग्रह और प्रबंधन पर चर्चा:-
प्रस्तुतीकरण के बाद फूलों के संग्रह, प्रबंधन और उनकी आपूर्ति श्रृंखला पर विस्तार से चर्चा हुई। ऑरल एसेंस प्राइवेट लिमिटेड की टीम ने सुझाव दिया कि फूलों के संग्रह के लिए मंदिरों, होटलों और अन्य स्थानीय स्थानों को मुख्य केंद्र बनाया जा सकता है। इसके लिए सामुदायिक भागीदारी सुनिश्चित करने और फूलों के कचरे को अलग-अलग स्थानों से इकट्ठा करने की प्रभावी प्रणाली विकसित करने की आवश्यकता है।
भविष्य की योजनाएँ और दिशा-निर्देश:-
महिला उद्यमियों और स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) को इस योजना में शामिल करने पर चर्चा की गई। सीडीओ महोदया ने इस विचार को सराहा और इसे जल्द से जल्द लागू करने का निर्देश दिया। उन्होंने यूनिट स्थापित करने के लिए एक सुदृढ़ योजना तैयार करने, आवश्यक संसाधनों का आकलन करने और संभावित स्थलों की पहचान करने का निर्देश दिया। साथ ही, उन्होंने यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि इस परियोजना में सभी तकनीकी और प्रशासनिक पहलुओं का ध्यान रखा जाए।
परियोजना का महत्व और सामाजिक प्रभाव:-
वेस्ट फ्लावर मैनेजमेंट परियोजना का उद्देश्य न केवल पर्यावरण संरक्षण है, बल्कि इससे सामाजिक और आर्थिक लाभ भी जुड़ा हुआ है। फूलों के कचरे को उपयोगी उत्पादों में बदलने से जिले में रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे। यह परियोजना विशेष रूप से महिलाओं और युवाओं के लिए स्वरोजगार का साधन बन सकती है। इसके अलावा, यह पहल जिले में कचरा प्रबंधन को प्रभावी और पर्यावरण-अनुकूल बनाने की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम है।
सीडीओ महोदया के निर्देश और सुझाव:-
सीडीओ महोदया ने इस परियोजना के महत्व को समझते हुए इसे प्राथमिकता देने का निर्देश दिया। उन्होंने सुनिश्चित करने के लिए कहा कि योजना तैयार करने से लेकर यूनिट के संचालन तक सभी कार्यों में समय सीमा और गुणवत्ता का पालन हो। उन्होंने संबंधित विभागों और परियोजना टीम को निर्देश दिया कि वे समन्वय के साथ कार्य करें और इस परियोजना को जल्द से जल्द लागू करें।
यह प्रस्तुतीकरण वेस्ट फ्लावर मैनेजमेंट के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण पहल है। इसके माध्यम से न केवल फूलों के कचरे का प्रभावी उपयोग होगा, बल्कि जिले में स्वरोजगार और पर्यावरणीय स्थिरता को भी बढ़ावा मिलेगा। कर्नाटक से आई ऑरल एसेंस प्राइवेट लिमिटेड की तकनीकी टीम द्वारा दी गई जानकारी ने इस परियोजना को नई दिशा दी है। सीडीओ महोदया के नेतृत्व में और डीपीएम ग्रामोत्थान परियोजना के देख रेख में यह परियोजना जिले के विकास में एक नई उपलब्धि साबित होगी।
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