भारतीय डाक विभाग 1 अक्टूबर को 168 साल का हो गया है। वक्त के साथ विभाग ने खुद काे ढाला और आधुनिकता के साथ तालमेल बैठाया। 1 अक्टूबर 1854 को भारतीय डाक विभाग की स्थापना हुई। कोडरमा जिले में पहला डाकघर 1905 में डोमचांच के शिवसागर में खुला था, जो आज भी जर्जर हो चुके उसी भवन में संचालित हो रहा है। वहीं, झुमरीतिलैया शहर में 1967-68 में मुख्य डाकघर खुला। यहां माइका के समय 20 पोस्ट अलग से बनाए गए थे। छोटे-छोटे पोस्ट बाक्स में व्यवसायियों के पत्र सुबह 09 बजे डाल दिए जाते थे। उसे कर्मचारी ताला खोलकर ले जाते थे।
आज यह पोस्ट बाक्स अब शोभा की वस्तु बन कर रह गए हैं। इसके अलावा कई स्थलों पर छोटे-छोटे पोस्ट बाक्स बिजली या टेलीफोन के खंभे पर लगाए गए थे, जो आज पूरी तरह से बंद हो चुके हैं। झुमरीतिलैया में जिस समय पोस्ट ऑफिस खुला, उस समय आबादी कम थी। आज तीन डाकियों के जरिए 28 वार्डों में लगभग 350 स्पीड पोस्ट 100-150 रजिस्ट्री एवं लगभग 300 जनरल डाक वितरित हो रहा है। उस वक्त यह महज पत्र भेजने का माध्यम था।
आज कई सुविधाएं उपलब्ध करा रहा डाक विभाग
आज डाक विभाग डाक सेवाओं के अलावा बैकिंग, बीमा, पासपोर्ट, रेल टिकट, आधार कार्ड( aadhar card ) जन्म या मृत्यु प्रमाण पत्र, ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने में सुविधा दे रहा है। एक समय डाक विभाग द्वारा 15 पैसे के पोस्टकार्ड बिक्री परवान पर रहती थी, लेकिन पोस्टकार्ड देखने को नहीं मिलते। वहीं, टेलीग्राम की प्रथा भी बंद हो गई है। अब यह विभाग जनता के बीच रिटेल सेवाओं को उपलब्ध कराने वाला साधन बन गया है। डाक विभाग नई सेवाओं को मजबूती दे रहा है।