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ग्रामीण उधम वेग वृद्धि परियोजना / ग्रामोत्थान योजना के अंतर्गत जिला परियोजना प्रबंधक संजय सक्सेना के तत्वाधान में चारा उत्पादन एवं साइलेज मेकिंग पर प्रशिक्षण कार्यक्रम का किया गया आयोजन

Byanilkumar

Oct 8, 2024

रिपोर्ट – अनिल सैनी।

रुड़की। ग्रामीण उधम वेग वृद्धि परियोजना / ग्रामोत्थान योजना के अंतर्गत जिला परियोजना प्रबंधक संजय सक्सेना के तत्वाधान में चारा उत्पादन एवं साइलेज मेकिंग पर प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया।

जिला परियोजना प्रबंधक, ग्रामोत्थान परियोजना संजय सक्सेना के निर्देशानुसार “मुलदासपुर माजरा CLF” द्वारा डेयरी वैल्यू चेन के चयन के बाद पशुपालक महिला किसानों के लिए दो दिवसीय चारा उत्पादन एवं साइलेज मेकिंग पर आधुनिक तकनीक आधारित प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस प्रशिक्षण का उद्देश्य किसानों को चारा उत्पादन की नवीनतम पद्धतियों से परिचित कराना था, जिससे वे अपने पशुओं के लिए पौष्टिक और उच्च गुणवत्ता वाला चारा उत्पादन कर सकें।

प्रशिक्षण के प्रथम दिन (07 अक्टूबर 2024) को अनुज कुमार (सहायक विस्तार – कृषि एवं पशुपालन) मुख्य प्रशिक्षक के रूप में उपस्थित थे। CLF के पदाधिकारियों ने भी कार्यक्रम में भाग लिया। इस प्रशिक्षण में कुल 23 प्रगतिशील पशुपालक किसानों ने भाग लिया।

प्रशिक्षण के प्रमुख बिंदु रहें –

1. चारा उत्पादन क्या है? इसकी आवश्यकता और उद्देश्य: चारा उत्पादन पशुपालकों के लिए एक महत्वपूर्ण कृषि गतिविधि है, जिसमें पौष्टिक हरे चारे की खेती पर जोर दिया गया।

2. प्रमुख चारा उत्पादन फसलें: नेपियर घास, मक्का, ज्वार, बाजरा, जौ, और बरसीम जैसी फसलों पर चर्चा की गई।

3. चारा उत्पादन की नई पद्धतियां: इसमें भूमि की तैयारी, बीज चयन, बुआई, सिंचाई, निराई, और खाद-उर्वरक के उचित उपयोग पर विशेष जानकारी दी गई।

4. प्रमुख चारा उत्पादन फसले: हरा चारा बेफलीदार और फलीदार प्रकार का होता है। इसमें नेपियर हाथी घास, गिनी घास जैसी किस्मों पर चर्चा की गई।

5. CSA आधारित चारा उत्पादन फसलों की कृषि पद्धति: जलवायु परिवर्तन के अनुकूल तकनीक अपनाकर चारा उत्पादन को टिकाऊ और लाभकारी बनाने पर जोर दिया गया।

6. चारा उत्पादन की समस्याएं: इनमें मौसम की अनिश्चितता, मिट्टी की गुणवत्ता, पानी की कमी, कीट और रोग, बीज की कमी, जलवायु परिवर्तन आदि शामिल हैं।

7. चारा उत्पादन गतिविधि हेतु रीप परियोजना का सहयोग: रीप परियोजना के तहत संकुल स्तरीय फेडरेशन की मांगानुसार 80% परियोजना सहयोग और 20% लाभार्थी योगदान के साथ चारा बीज उपलब्ध कराया जाता है।

8. हरे चारे का रखरखाव: हरे चारे को सुखाना, पैकिंग, कुलिंग, फ्रीजिंग, साइलेज बनाना और नमी को नियंत्रित रखना आदि तरीकों से चारे को सुरक्षित रखा जा सकता है।

9. साइलेज निर्माण

10. चारा संरक्षण

वही इस बारे में जिला परियोजना प्रबंधक संजय सक्सेना ने बताया कि यह प्रशिक्षण कार्यक्रम “ग्रामोत्थान योजना” के तहत किसानों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने और पशुधन उत्पादन में वृद्धि के लिए सहायक सिद्ध होगा।

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