अनिल सैनी।
एक तरफ दिल्ली की हवा के प्रदूषित होने पर देशभर में शोर मच रहा है, तो दूसरी ओर उत्तराखंड की हवा में जहर घोला जा रहा है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से रोक के बावजूद गन्ना कोल्हुओं में पॉलीथिन और रबर जलाई जा रही है।
झबरेड़ा कस्बे के समीप स्थित अधिकांश कोलहुओ में गन्ने का रस पकाने के लिए रबड़ और प्लास्टिक जलाकर लोगो के सेहत के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है । दरअसल झबरेड़ा कस्बा और आसपास सैंकड़ों कोल्हू स्थित है , अधिकांश कोलहुओ में रबड़ और प्लास्टिक जलाकर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के नियमो की भी धज्जियां उड़ाई जा रही है । आपको बता दे की झबरेड़ा के आसपास स्थित कोलहुओ में गन्ने के रस पकाकर गुड बनाया जाता है । लेकिन गन्ने के रस को पकाने के लिए ईंधन के रूप में रबड़ और प्लास्टिक जलाई जा रही है ,, जिससे कोल्हुओ की चिमनियों से निकलने वाला जहरीला धुआं लोगो की सेहत पर बुरा प्रभाव डाल रहा है , झबरेड़ा कस्बे में बड़े पैमाने पर कोल्हुओं में गुड बनाने का काम किया जाता है। इन कोल्हुओं में गन्ने के रस को पकाने के लिए ईंधन की जगह प्लास्टिक और रबर का इस्तेमाल किया जा रहा है। सस्ता और तेज जलने वाला होने के चलते कोल्हू स्वामी इसका इस्तेमाल कर रहे हैं। हालांकि कोल्हू स्वामियों के पास गन्ने की पिराई के बाद निकलने वाली खोई ईंधन का बेहतर विकल्प है, लेकिन उसे सुखाने के झंझट से बचने के लिए प्लास्टिक और रबर का इस्तेमाल किया जा रहा है। कोल्हुओं से निकलने वाला काला धुंआ आसपास के लोगों को बीमार बना रहा है।
वहीं संबंधित विभाग कार्यवाही के नाम पर बचता नजर आ रहा है । अब देखने वाली बात यह होगी कि लोगों की जान के साथ खिलवाड़ करने वाले इन लोगों पर प्रदूषण विभाग क्या कार्रवाई करता है।