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*बैंक सखी प्रशिक्षण का द्वितीय दिवस ईटीसी केंद्र, गुरुकुल कांगड़ी, हरिद्वार में सम्पन्न*

Byanilkumar

Jan 16, 2025

रिपोर्ट – अनिल सैनी।

हरिद्वार। हरिद्वार के ईटीसी केंद्र, गुरुकुल कांगड़ी में बैंक सखी प्रशिक्षण सत्र का आयोजन किया गया। इस सत्र में सहायक परियोजना निदेशक / डिस्ट्रिक्ट मिशन मैनेजर एवं जिला थीमेटिक एक्सपर्ट के देखरेख में किया गया । इस सत्र का उद्देश्य बैंक सखी सदस्यों को वित्तीय ज्ञान और कौशल प्रदान करना था, जिससे वे स्व-सहायता समूहों (SHG) के साथ बेहतर तालमेल बनाकर बैंकिंग कार्यों को सुचारु रूप से संपादित कर सकें। प्रशिक्षण का दूसरा दिन महत्वपूर्ण विषयों पर केंद्रित था।

 

एसएचजी बचत खाता खोलना:-

 

दूसरे दिन के सत्र की शुरुआत स्व-सहायता समूहों के लिए बचत खाता खोलने की प्रक्रिया से हुई। प्रशिक्षकों ने एसएचजी बचत खाता खोलने के लिए आवश्यक दस्तावेज, केवाईसी अनुपालन, और संचालनात्मक दिशानिर्देशों की विस्तृत जानकारी दी। इस सत्र में बैंक सखियों की भूमिका पर विशेष जोर दिया गया, ताकि वे एसएचजी सदस्यों को इस प्रक्रिया को आसान बनाने में मदद कर सकें।

 

सीबीआरएम (सामुदायिक-आधारित पुनर्प्राप्ति तंत्र):-

 

सीबीआरएम पर सत्र में समुदाय आधारित तंत्र का उपयोग करते हुए ऋण पुनर्प्राप्ति के प्रभावी तरीकों पर चर्चा की गई। इसमें एसएचजी सदस्यों को शामिल करते हुए वित्तीय अनुशासन बनाए रखने और डिफॉल्ट की रोकथाम के उपाय सुझाए गए। इस प्रक्रिया में बैंक सखी सदस्यों की भूमिका को महत्वपूर्ण माना गया, जो समुदाय स्तर पर समन्वय स्थापित कर ऋण पुनर्प्राप्ति में योगदान कर सकती हैं।

 

एनपीए (गैर-निष्पादित परिसंपत्ति) प्रबंधन:-

 

सत्र का अंतिम हिस्सा एनपीए प्रबंधन पर केंद्रित था। इसमें स्व-सहायता समूहों के ऋणों के तहत गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों (एनपीए) से निपटने के लिए रणनीतियों को समझाया गया। प्रशिक्षकों ने बैंक सखियों को सिखाया कि कैसे वे उधारकर्ताओं के साथ सक्रिय रूप से संवाद करके और उनकी समस्याओं को हल करके एनपीए को कम कर सकती हैं।

 

यह प्रशिक्षण सत्र राष्ट्रीय संसाधन व्यक्ति (एनआरपी) श्री एन.के. सिंह और श्री के.बी. दीक्षित द्वारा संचालित किया गया। दोनों ही प्रशिक्षकों का अनुभव और मार्गदर्शन बैंक सखी सदस्यों के लिए अत्यंत लाभकारी रहा।

 

मुख्य विकास अधिकारी महोदया और परियोजना से जुड़े अन्य अधिकारियों ने इस प्रशिक्षण सत्र की सराहना करते हुए इसे एसएचजी और बैंक सखी सदस्यों के लिए मील का पत्थर बताया। इस प्रकार के प्रशिक्षण सत्र ग्रामीण समुदायों को सशक्त बनाने और वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देने में सहायक सिद्ध हो रहे हैं।

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