रिपोर्ट – अनिल सैनी।
ऋषिकेश। मुख्य विकास अधिकारी (सीडीओ) द्वारा ऋषिकेश में स्थित नेचुरल फाइबर आधारित अग्रणी इंडस्ट्री का भ्रमण किया गया। इस भ्रमण में सीडीओ महोदया के साथ जिला परियोजना प्रबंधक, ग्रामोत्थान परियोजना, और सहायक परियोजना निदेशक/डिस्ट्रिक्ट मिशन मैनेजर (APD/DMM) एनआरएलएम ने भी भाग लिया। इस औद्योगिक इकाई का दौरा प्राकृतिक रेशे आधारित उत्पादों की उत्पादन प्रक्रिया, मार्केटिंग रणनीतियों, और नवीनतम तकनीकों का अध्ययन करने के उद्देश्य से किया गया।
प्राकृतिक रेशों पर आधारित उत्पादन प्रक्रिया:-
इस इकाई में विभिन्न प्रकार के प्राकृतिक रेशों जैसे भीमल, भांग, और पाइन (चीड़) का उपयोग कर उत्पादों का निर्माण किया जा रहा है। इन उत्पादों को स्थानीय, राज्यस्तरीय, राष्ट्रीय, और अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में विपणन किया जा रहा है। इकाई से जुड़ी लगभग 3500 महिलाएं इन उत्पादों के निर्माण और विपणन के माध्यम से स्वरोजगार प्राप्त कर रही हैं। महिलाओं के इस आर्थिक सशक्तिकरण ने क्षेत्र में सामाजिक और आर्थिक विकास को गति प्रदान की है।
भ्रमण का उद्देश्य:-
नवीनतम तकनीकों का अध्ययन:-
इस इकाई द्वारा प्रयोग की जा रही आधुनिक तकनीकों का अध्ययन किया गया, जिससे उत्पादों की गुणवत्ता और उत्पादन क्षमता में वृद्धि होती है। सीडीओ महोदया ने उत्पादन में उपयोग की जाने वाली मशीनों और उपकरणों का निरीक्षण किया।
मार्केटिंग रणनीतियों का विश्लेषण:-
इस इकाई द्वारा अपनाई गई मार्केटिंग रणनीतियों का गहन अध्ययन किया गया। स्थानीय और अंतर्राष्ट्रीय बाजार में उत्पादों की मांग और बिक्री को बढ़ाने के लिए उनकी कार्यप्रणाली को समझा गया।
ग्रामोत्थान परियोजना “रीप” और USRLM से जुड़ाव:-
भ्रमण का मुख्य उद्देश्य हरिद्वार जनपद में ग्रामोत्थान परियोजना “रीप” और USRLM के अंतर्गत जुट या अन्य प्राकृतिक रेशों पर आधारित महिलाओं के उत्पादों को इस इकाई की तकनीकों और रणनीतियों के साथ जोड़ना था। इस प्रक्रिया से हरिद्वार की महिलाओं द्वारा निर्मित उत्पादों की गुणवत्ता और विपणन क्षमता में वृद्धि की संभावना है।
महिलाओं के लिए रोजगार के अवसर:-
इस भ्रमण ने यह भी दिखाया कि प्राकृतिक रेशे आधारित उत्पादों के माध्यम से अधिक महिलाओं को रोजगार के अवसर प्रदान किए जा सकते हैं। तकनीक और रणनीति के विस्तार से हरिद्वार जनपद की महिलाओं के उत्पादों को अधिक प्रतिस्पर्धी बनाया जा सकता है।
अध्ययन के निष्कर्ष:-
प्राकृतिक रेशों जैसे भीमल, भांग, और पाइन (चीड़) का उपयोग कर तैयार उत्पादों में उच्च गुणवत्ता और नवीनता देखी गई।
इकाई द्वारा अपनाई गई मार्केटिंग रणनीतियों ने उत्पादों की बिक्री को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बढ़ावा दिया है।
उत्पादन प्रक्रिया में उपयोग की जाने वाली मशीनरी और तकनीकें आधुनिक और उन्नत हैं, जो उत्पादन क्षमता बढ़ाने में सहायक हैं।
भविष्य की कार्ययोजना:-
तकनीक का विस्तार:-
हरिद्वार में कार्यरत महिलाओं को इस इकाई द्वारा उपयोग की जा रही आधुनिक तकनीकों से जोड़ने की योजना बनाई गई है। इससे उनके उत्पादों की गुणवत्ता में सुधार होगा।
प्रशिक्षण कार्यक्रम:-
महिलाओं को इन तकनीकों और उपकरणों का उपयोग सिखाने के लिए विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।
विपणन का सुदृढ़ीकरण:-
उत्पादों के लिए बेहतर बाजार उपलब्ध कराने के उद्देश्य से राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर मार्केटिंग चैनलों को मजबूत किया जाएगा।
महिला सशक्तिकरण:-
इस भ्रमण से मिली जानकारियों का उपयोग कर हरिद्वार जिले की अधिक महिलाओं को इस क्षेत्र में स्वरोजगार से जोड़ा जाएगा।
मुख्य विकास अधिकारी महोदया ने इस भ्रमण को अत्यधिक लाभकारी बताते हुए निर्देश दिया कि ग्रामोत्थान परियोजना के तहत महिलाओं के उत्पादों को इस इकाई की तकनीकों से जोड़ने की प्रक्रिया को शीघ्र प्रारंभ किया जाए। उन्होंने कहा कि हरिद्वार में इस तरह के प्रयास महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण और जिले के विकास में महत्वपूर्ण योगदान देंगे।