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महंगे पड़े बड़े-बोल, अकील की कांग्रेस से छुट्टी: निष्कासन से आक्रोश, कहा- अब तो मुस्लिम यूनिवर्सिटी बनकर रहेगी

कांग्रेस पार्टी से छह साल के लिए निष्कासित किए जाने से आक्रोशित कांग्रेस प्रदेश उपाध्यक्ष अकील अहमद का नया बयान सामने आया है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में अब तो मुस्लिम यूनिवर्सिटी बनकर रहेगी। चाहे इसके लिए समाज के लोगों से चंदा इकट्ठा करना पड़े।

उत्तराखंड में मुस्लिम यूनिवर्सिटी की स्थापना की मांग को लेकर चर्चा में आए कांग्रेस नेता अकील अहमद की आखिरकार इसी मुद्दे पर पार्टी से छुट्टी हो गई। उन्हें अनुशासनहीनता के आरोप में कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से छह साल के लिए निष्कासित कर दिया गया है।

सोमवार देर शाम पार्टी के महासचिव संगठन मथुरादत्त जोशी की ओर से अकील अहमद के निष्कासन का पत्र जारी किया गया। इसमें कहा गया है कि अकील अहमद की ओर से विधानसभा चुनाव के दौरान और उसके बाद भी मीडिया में लगातार अनर्गल बयानबाजी की जा रही थी, इससे पार्टी की छवि को नुकसान पहुंचा है।

इस संबंध में पार्टी की ओर से आठ फरवरी को कारण बताओ नोटिस भी जारी किया गया था, लेकिन अकील की ओर से इसके बाद भी अनर्गल बयानबाजी जारी रही। जिसे केंद्रीय नेतृत्व ने गंभीरता से लिया है। इसलिए अकील अहमद पर अनुशासनात्मक कार्रवाई करते हुए उन्हें पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से छह साल के लिए निष्कासित कर दिया गया है।

मुस्लिम यूनिवर्सिटी तो अब बनकर रहेगी : अकील

विधानसभा चुनाव में छाए रहे मुस्लिम यूनिवर्सिटी के मुद्दे पर कांग्रेस प्रदेश उपाध्यक्ष अकील अहमद का नया बयान सामने आया है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में अब तो मुस्लिम यूनिवर्सिटी बनकर रहेगी। चाहे इसके लिए समाज के लोगों से चंदा इकट्ठा करना पड़े। बगावती तेवर दिखाते हुए उन्होंने कहा कि वह इसी मुद्दे पर हरिद्वार लोकसभा से टिकट की मांग करेंगे। पार्टी ने टिकट नहीं दिया तो वह निर्दलीय चुनाव लड़ेंगे। अकील ने हरीश रावत के उस आरोप का भी जवाब दिया है जिसमें उन्होंने कुछ लोगों पर उनकी बेटी को हराने का काम करने का आरोप लगाया है। अकील ने कहा कि उन्हें हरीश रावत की बेटी को हराने नहीं जिताने का काम किया। उन्होंने कहा कि 2017 के चुनाव में तो उन्होंने कोई बयान नहीं दिया था, तब कांग्रेस क्यों हारी? तत्कालीन मुख्यमंत्री दो-दो सीटों से पराजित कैसे हो गए?

मुस्लिम यूनिवर्सिटी की मांग अन्य मांगों की तरह ही एक सामान्य मांग थी ः अकील

कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष अकील अहमद ने कहा कि यह बात भी सही है कि उनकी इस संबंध में चुनाव से पूर्व हरीश रावत से कोई बात नहीं हुई थी। मुस्लिम यूनिवर्सिटी की मांग अन्य मांगों की तरह ही एक सामान्य मांग थी, लेकिन भाजपा ने इसे मुद्दा बनाकर चुनाव मेें वोटों का ध्रुवीकरण कर दिया। इस मुद्दे के कारण कांग्रेस नहीं हारी। बड़े नेता अपनी कमियां छुपाने के लिए हार का ठीकरा उनके सिर फोड़ रहे हैं। वे मुस्लिम यूनिवर्सिटी बनाने की अपनी मांग पर अब भी कायम हैं और इसी मुद्दे के साथ लोकसभा चुनाव में हरिद्वार से टिकट मांगेंगे। यदि पार्टी ने टिकट नहीं दिया तो निर्दलीय मैदान में उतरेंगे।

हरीश रावत के उन आरोपों को नकारा

अकील ने कहा कि उन्होंने हरीश रावत के उन आरोपों को भी नकारा, जिसमें उन्होंने कहा था कि पार्टी के कुछ नेताओं ने उन्हें (अकील) उनकी बेटी को हराने के लिए हरिद्वार भेजा था। अकील ने कहा कि उन्होंने उनकी बेटी को हराने नहीं, बल्कि जिताने का काम किया है। जो हरीश रावत आज कह रहे हैं कि वह अकील अहमद को जानते भी नहीं हैं, जबकि उन्होंने खुद वर्ष 2016 में उन्हें दर्जाधारी मंत्री बनाया था। अकील ने कहा कि वह चुनाव में सहसपुर विधानसभा क्षेेत्र से टिकट मांग रहे थे। टिकट नहीं मिला तो उन्होंने निर्दलीय पर्चा भर दिया। इसके बाद पार्टी के वरिष्ठ नेताओं और पर्यवेक्षक मोहन प्रकाश जोशी उन्हें मनाने आए थे। तब उन्होंने क्षेत्र से जुड़ी दस मांगों का मांगपत्र पार्टी नेताओं को सौंपा था। इसमें एक मांग मुस्लिम यूनिवर्सिटी की भी थी। तब उनसे कहा गया था कि संगठन में पद और सरकार बनने पर उचित सम्मान दिया जाएगा।

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